रविवार, 6 नवंबर 2011

महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अत्याचार चिंताजनक : ममता शर्मा


राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा से महिलाओं की दशा, आयोग की भूमिका और उनकी आगामी योजनाओं पर बातचीत के मुख्य अंश :

प्रश्न : आयोग की अध्यक्ष के रूप में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

उत्तर : मेरी प्राथमिकता आयोग का कामकाज सुचारु बनाना है। सदस्यों की नियुक्ति से लेकर विभिन्न समितियों में भी हम फेरबदल चाहते हैं। हमें अधिक ऊर्जावान लोगों की जरूरत है। हमने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए मैंने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा तीरथ को लिखा भी है। मैं राज्य महिला आयोगों को भी सशक्त बनाने में जुटी हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि सत्ता के विकेंद्रीकरण से बेहतर परिमाण सामने आते हैं। तमिलनाडु, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पिछले काफी समय से आयोग की अध्यक्ष भी नहीं हैं। मैंने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इसके लिए भी पत्र लिखा है। साथ ही मैं ऐसी समिति बनाने पर भी विचार कर रही हूं, जो राज्यों में जाकर महिलाओं से जुड़े कार्यो की निगरानी करेगी।

प्रश्न : महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहा है। आयोग इस दिशा में क्या कर रहा है?

उत्तर : महिलाओं के साथ बढ़ता अत्याचार चिंताजनक है। इस साल 10 अगस्त तक आयोग में 9,495 शिकायतें आई हैं। अकेले अगस्त और सितम्बर के बीच करीब डेढ़ महीने में देशभर से 800 शिकायतें दर्ज की गई हैं। निश्चित रूप से ये अच्छे संकेत नहीं हैं। लेकिन आयोग महिलाओं के साथ बढ़ते अत्याचार के प्रति सजग है। पिछले डेढ़ महीने में आयोग में आई शिकायतों में से 600 मामलों में हमने कार्रवाई रिपोर्ट मंगवाई है। अन्य मामलों को भी देखा जा रहा है। कई मामलों में हमने स्वत: संज्ञान भी लिया है।

प्रश्न : लेकिन कहा जा रहा है कि आयोग ने अधिकतर उन्हीं राज्यों से जुड़े मामलों में स्वत: संज्ञान लिया है, जहां गैर-कांग्रेसी सरकारें हैं?

उत्तर : ऐसा नहीं है। महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मुद्दों में हम यह नहीं देखते कि कौन से राज्य में कांग्रेस की सरकार है या कहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या अन्य दलों की सरकार है। बिहार, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त हमने राजस्थान में दहेज हत्या से जुड़े मामले में भी स्वत: संज्ञान लिया है। मेघालय में भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार है। लेकिन वहां भी हमने एक स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है।

प्रश्न : राजस्थान से ही जुड़ा ताजा मामला है भंवरी देवी का। क्या आयोग इस मामले में भी कुछ कर रहा है?

उत्तर : देखिए फिलहाल यह मामला अदालत के विचाराधीन है, इसलिए आयोग आगे बढ़कर कुछ नहीं कर रहा।

प्रश्न : महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में आप क्या नया करने जा रही हैं। आपकी आगामी योजनाएं क्या हैं?

उत्तर : महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उनके प्रति समाज के नजरिए में बदलाव लाने के लिए हमारे पास कई कार्यक्रम हैं। हमारा मुख्य जोर होर्डिग्स और पोस्टर पर है। मेट्रो में यह प्रयोग सफल रहा है। हम अन्य राज्यों में ऐसा करने की सोच रहे हैं। विभिन्न राज्यों में जगह-जगह पोस्टर और होर्डिग क्षेत्रीय भाषाओं में लगाए जाएंगे। साथ ही हम वृत्तचित्र के माध्यम से भी अपनी बात लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। इसके लिए दूरदर्शन से बात की जा रही है, क्योंकि इसकी पहुंच गांवों और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी है। फिर नुक्कड़ नाटक भी एक बेहतरीन माध्यम है। हमने अभी दिल्ली के बुरारी में नुक्कड़ नाटक किया भी था, जिसके परिणाम बेहतर रहे। साथ ही मैं महिला सरपंचों को भी पत्र लिखने का सोच रही हूं, ताकि वे अपने स्तर पर महिलाओं को जागरूक करने की कोशिश करें।

प्रश्न : तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद महिलाओं के पिछड़ेपन का क्या कारण है?

उत्तर : मुझे लगता है महिलाओं में शिक्षा का स्तर अब भी कम है, जिसकी वजह से उन तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। फिर अपने अधिकारों को लेकर वे जागरूक भी नहीं हैं। मुझे उम्मीद है उक्त कार्यक्रमों से उन्हें लाभ होगा।

प्रश्न : महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात की जाए तो कन्या भ्रूण हत्या एक अहम समस्या है। आप इसके क्या कारण देखती हैं और इसे समाज से मिटाने के लिए क्या करने जा रही हैं?

उत्तर : मुझे लगता है कि वंश परम्परा आगे बढ़ाने के लिए बेटों की चाह और दहेज इसके दो बड़े कारण हैं। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए कानून तो बहुत हैं, लेकिन उनका सही ढंग से अनुपालन नहीं हो पाता। ऐसे डॉक्टरों के क्लीनिक को बंद करने के साथ-साथ उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही लोगों को नुक्कड़ नाटक और अन्य कार्यक्रमों, पोस्टर, होर्डिग्स के जरिए जागरूक करने की जरूरत है।

प्रश्न : टेलीविजन पर पुरुषों के डियो में महिलाओं की जो उत्तेजक छवि पेश की जा रही है, उसके बारे में आप क्या कहेंगी?

उत्तर : देखिये मैं इसके सख्त खिलाफ हूं। मुझे नहीं लगता इसकी कोई जरूरत है। ऐसे ही एक जींस के विज्ञापन में हमने स्वत: संज्ञान लिया है। इस तरह के विज्ञापन बंद होने चाहिए। मैं इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री अम्बिका सोनी से भी एक मुलाकात करना चाहती हूं।

प्रश्न : लेकिन आप ऐसे लोगों को क्या कहना चाहेंगी, जो ऐसे विज्ञापनों को महिला सशक्तिकरण और उनकी आजादी से जोड़कर देखते हैं?

उत्तर : यह महिला सशक्तीकरण नहीं हो सकता और न ही उनकी आजादी का परिचायक। मुझे लगता है महिलाओं को आत्मनिर्भर व शिक्षित बनाना, उन्हें उनका अधिकार देना, उन्हें सम्मान देना, बराबरी का हक देना ही वास्तव में उनका सशक्तीकरण है।

प्रश्न : 'स्लट वाक' (बेशर्मी मोर्चा) के बारे में आप क्या कहेंगी? क्या आपको लगता है कि यह महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का जरिया है?

उत्तर : मुझे ऐसा नहीं लगता। मैं इसके खिलाफ हूं। यह हमारी संस्कृति की बात नहीं है। अपने कपड़ों के लिए बेशर्मी मोर्चा निकालने वाली लड़कियों से भी मैं कहूंगी कि वे गांवों में जाकर महिला अधिकारों के लिए प्रदर्शन करें और ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करें तो अधिक बेहतर होगा।

प्रश्न : आप ऐसे लोगों को क्या कहेंगी जो लड़कियों के साथ बलात्कार जैसे अपराधों के लिए उनके कपड़ों को जिम्मेदार ठहराते हैं?

उत्तर : ऐसे लोगों के लिए मेरी सलाह है कि वे अपनी मानसिकता बदलें। उन्हें समझना होगा कि ऐसे कपड़े उनकी बहन बेटियां भी पहनकर बाहर निकलती हैं।

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