मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

डेडली हेडली

मुंबई पर आतंकवादी हमले यानी 26/11 को एक साल होने में अब कुछ दिन बाकी हैं। पाक पूरे मामले को दबाकर बैठा है, जबकि सारे जवाब उसी के पास हैं और उसी को देना है। इस बीच जो खुलासे हो रहे हैं और जो नए नाम सामने आ रहे हैं, उनकी शक की सुई भी पाक की ओर है। डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी ऐसा ही एक नाम है। पाक मूल के इस अमेरिकी नागरिक की गिरफ्तारी के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे जांच एजेंसियों को शक है कि 26/11 की वारदात में उसका भी हाथ था। आश्चर्य की बात यह कि 2006 से 2009 तक वह नौ बार भारत आया। कई शहरों में गया और वीसा एजेंसी के जरिये अपने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए भर्ती करता रहा। फिर भी, उसके दहशतगर्दी इरादों को कोई भांप नहीं पाया।

डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी। पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक। अमेरिका में शिकागो के ओज्हेयर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार यह शख्स एक और आतंकवादी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। उसके निशाने पर था अमेरिका और भारत। इसके अलावा भी कई अन्य देशों में वह आतंक फैलाने का मंसूबा पाले था और यह सब वह कर रहा था पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर।
गिरफ्तारी के वक्त वह पाकिस्तान जाने के लिए फिलाडेल्फिया की उड़ान पर था, जहां वह अपने आकाओं के साथ मिलकर नए खौफनाक हमले की रूपरेखा तय करने वाला था। समझा जाता है कि वह भारत में 26/11 जसा ही एक और हमला अंजाम देने का षड्यंत्र रच रहा था। उसे गिरफ्तार करने वाली अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआई) के अधिकारियों ने उससे पूछताछ के आधार पर जो खुलासा किया है, उसके अनुसार हेडली के निशाने पर थे देश के दो महत्वपूर्ण व लोकप्रिय बोर्डिग स्कूल- देहरादून स्थित दून स्कूल और मसूरी स्थित वूडस्टॉक स्कूल। साथ ही नई दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज भी उसके निशाने पर था।
हेडली 2006 में बिजनेस वीसा पर भारत आया और 2006 से 2009 के बीच कुल नौ बार उसने भारत का दौरा किया। इस दौरान वह देश के कई शहरों में गया। अहमदाबाद, पुणे, लखनऊ, आगरा और दिल्ली का उसने दौरा किया। जुलाई 2008 तक वह मुंबई में रहा और करीब दो साल तक उसने वहां वीसा एजेंसी चलाई। अपनी इस वीसा एजेंसी के जरिये उसने कई लोगों को भारत से बाहर खाड़ी देशों में भेजा। लेकिन वह उन्हें किसी व्यवसाय के सिलसिले में खाड़ी देश नहीं भेज रहा था, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के कैडर के रूप में उनकी भर्ती कर रहा था।
अपने मुंबई प्रवास के दौरान वह होटल ट्रिडेंट में रुका। कुछ दिन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) के पास एक गेस्ट हाऊस में रहा और ताज होटल में भी उसने कमरा लिया था। इस आधार पर मुंबई हमले में भी उसका हाथ होने की आशंका जाहिर की जा रही है। एफबीआई के अधिकारी भी इस बात से इनकार नहीं करते। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी हमले में उसका हाथ होने की आशंका जाहिर करते हुए इसकी जांच की बात कही है। गौरतलब है कि मुंबई हमले के दौरान होटल ट्रिडेंट, सीएसटी और होटल ताज, ये तीनों आतंकवादियों के हमले के शिकार हुए थे। जांच एजेंसियां इस बात की भी जानकारी जुटा रही हैं कि क्या हेडली लश्कर-ए-तैयबा के किसी प्रशिक्षण शिविर में भी शामिल हुआ था, जिसमें मुंबई हमले को अंजाम देने वाले दस आतंकवादियों ने प्रशिक्षण लिया था?
हेडली ने, जिसका मूल नाम दाऊद गिलानी है, पहचान छिपाने के लिए अपना नाम तक बदल लिया। उसने भारत के कई शहरों का और कई बार दौरा किया। इस दौरान वह कई होटलों में रुका, मुंबई में उसने दलालों के माध्यम से किराए पर मकान भी लिया। इस दौरान निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से भी उसकी मुलकात हुई। राहुल से अपने संपर्क का इस्तेमाल उसने मुंबई में अपना कारोबार जमाने में किया और उससे कई तरह की मदद ली। पुलिस को दी जानकारी में राहुल ने बताया है कि हेडली से उसकी मुलाकात एक जिम में हुई थी। वह अक्सर उससे स्वास्थ्य और व्यायाम के बारे में ढेर सारी बातें करता था। इस तरह जाहिर होता है कि हेडली स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग व गंभीर था। इस बीच कहीं कोई उसके खतरनाक मंसूबों को भांप नहीं पाया। लेकिन अब जबकि वह जांच एजेंसियों की गिरफ्त में आ चुका है, दुनिया के अन्य आतंकवादी हमलों और षड्यंत्रों में भी उसका नाम सामने आ रहा है। उस पर आतंकवादियों को हर तरह की सहायता मुहैया कराने के भी आरोप हैं।
डेनमार्क का समाचार-पत्र ‘जिलैंड्स-पोस्टेनज् भी उसके निशाने पर था, जिसने 2005 में पैगम्बर मुहम्मद साहब के 12 कार्टून प्रकाशित किए थे। इसके लिए उसने पाकिस्तान में अल कायदा के फील्ड कमांडर इलियास कश्मीरी और लश्कर-ए-तैयबा के दो अन्य कमांडर से भी मुलाकात की थी। इलियास कश्मीरी पाक अधिकृत कश्मीर में हरकत-ऊल-जिहाद इस्लामी (हुजी) का सरगना है, जिसके तार अलकायदा से जुड़े हैं। उल्लेखनीय है कि ‘जिलैंड्स-पोस्टेनज् में पैगम्बर मुहम्मद साहब के कार्टून के प्रकाशन के बाद दुनियाभर में इस्लामिक जगत में उबाल आ गया था और अखबार के संपादक के खिलाफ फतवा भी जारी किया गया था। समझा जाता है कि इसी बीच हेडली ने कई बार अखबार के दफ्तर का मुआयना किया और आतंकवादियों को इसके बारे में अंदरूनी जानकारी दी।

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