सोमवार, 18 जनवरी 2010

जुमा जुमा पांच

जकब जुमा अजब शख्सियत के मालिक हैं। वे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति हैं। उनके जीवन की अनेक रंगते हैं। वे जुझारू हैं, पर बेहद विवादास्पद। वे संजीदा राजनेता हैं, पर बेहद रोमांटिक। वे लोकप्रिय हैं, पर बदनामी पीछा नहीं छोड़ती। वे साम्यवादी-समाजवादी समझ रखते हैं, पर निजी जिंदगी में सामंतवाद छाया हुआ है। अभी उन्होंने पांचवीं शादी रचाई है।


सार्वजनिक जीवन में बेहद जुझारू तो निजी जीवन में बेहद रोमांटिक। कई मामलों में बेहद विवादास्पद भी। ये हैं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जकब जुमा। कभी उप-राष्ट्रपति रह चुके जुमा पर सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार, जबरन वसूली सहित बलात्कार जसे संगीन आरोप भी लगे। अदालतों में सुनवाई हुई। मीडिया में मामला उछला। लेकिन जनता और कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता कम न हुई।
हाल ही में उन्होंने पांचवीं शादी रचाकर सनसनी मचा दी। उन्हें इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती। वे बड़ी साफगोई से कहते हैं कि अन्य राजनेता भी घर के बाहर दूसरी औरतों से लुके-छिपे संबंध रखते हैं। मैंने यह खुलेआम किया और ब्याह रचाया, तो इस पर ऐतजराज क्यों? और फिर, एक के सिवा किसी को छोड़ा भी तो नहीं। सब साथ में हैं। यहां बता दें कि उनकी पहली पत्नी का देहांत हो चुका है, जबकि एक से तलाक हो चुका है। शेष तीन पत्नियां अब भी उनके साथ हैं। तीनों की अलग-अलग क्षेत्रों में रुचि है और इसमें उन्हें महारत भी हासिल है।
सड़सठ वर्षीय जुमा की हर शादी के बाद उनकी पत्नियों में तनाव की स्वाभाविक खबर उड़ी। हर बार यह सवाल पैदा हुआ कि अब देश की प्रथम महिला का दर्जा किसे हासिल होगा? कौन राष्ट्रपति की आधिकारिक यात्राओं में उनके साथ होंगी। इस बार भी यह सवाल बरकरार था। लेकिन राष्ट्रपति भवन ने साफ कर दिया कि जुमा की नई शादी को लेकर उनकी पत्नियों में कोई मतभेद नहीं है। सभी उसी तरह मिलजुलकर रहेंगी, जसे कभी राजे-रजवाड़े के दिनों में महाराजों की कई पत्नियां साथ रहा करती थीं। इन पांच औपचारिक शादियों के अलावा भी जुमा के कई महिलाओं से अंतरंग संबंध रहे हैं। अब भी हैं। जुमा की एक अन्य मंगेतर हैं, जिनसे आने वाले दिनों में वे शादी रचा सकते हैं।
बारह अप्रैल, 1942 को दक्षिण अफ्रीका के कवाजुलू नटल प्रांत में जन्मे जुमा के शुरुआती जीवन की बात की जाए तो वह बेहद अभाव में गुजरा। पिता पुलिस में थे। लेकिन बचपन में ही बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के आखिर में उनकी मौत हो गई। मां ने डरबन के घरों में छोटा-मोटा काम कर बेटे का पालन-पोषण किया। मां को सहयोग देने के लिए केवल पं्रह वर्ष की उम्र से जुमा ने भी काम शुरू कर दिया, जिसके बाद पढ़ाई-लिखाई बहुत पीछे छूट गई। जुमा ने केवल तीसरी तक पढ़ाई की। उसमें भी वे अच्छा नहीं कर पाए। पांचवीं ग्रेड में जसे-तैसे उन्होंने परीक्षा पास की। इस तरह जुमा का बचपन डरबन और जुलूलैंड के बीच आते-जाते बीता।
इस बीच वे कई ट्रेड यूनियनों के संपर्क में आए, जिसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनके आदर्शो और सोच ने ही उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। केवल सत्रह साल की उम्र में 1959 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) से जुड़ गए। हालांकि अगले ही साल इस पर प्रतिबंध लग गया, जिसके बाद 1963 में जुमा दक्षिण अफ्रीकन कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ गए। लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में भी वे अधिक दिनों तक काम नहीं कर सके। सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश के आरोप में 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें जुमा भी शामिल थे। नेल्सन मंडेला सहित एएनसी के अन्य लोकप्रिय नेताओं के साथ उन्होंने दस साल जेल में गुजारे।
जेल से निकलने के बाद उन्होंने एक बार फिर एएनसी को खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका छोड़ दिया और स्वाजिलैंड व मोजाम्बिक में निर्वासित जीवन बिताया। वहां वे एएनसी की मजबूती के लिए काम करते रहे। फरवरी 1990 में जब पार्टी पर से प्रतिबंध खत्म हुआ तो स्वदेश लौटने वालों में जुमा पहले नेता थे। तब तक जुमा सर्वप्रिय नेता बन चुके थे। 1999 से 2005 के बीच वे दक्षिण अफ्रीका के उप राष्ट्रपति भी रहे। इस बीच भ्रष्टाचार, जबरन वसूली सहित बलात्कार के संगीन आरोप भी उन पर लगे, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति थाबो म्बेकी ने उन्हें अपने पद से हटा दिया। लेकिन इससे न तो उनकी लोकप्रियता में कमी आई और न ही समर्थकों ने उनका साथ छोड़ा। दिसंबर 2007 में म्बेकी को हराकर वे पार्टी के अध्यक्ष बने। सितंबर 2008 में एनएनसी ने म्बेकी को वापस बुला लिया और साफ कर दिया कि अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद पार्टी जीती तो राष्ट्रपति जुमा ही होंगे। मई 2009 के आम चुनाव में उनकी पार्टी भारी बहुमत से जीतकर आई और वे राष्ट्रपति बन गए। जुमा की आर्थिक नीतियां काफी हद तक समाजवाद के करीब प्रतीत होती हैं। एक ओर उन्होंने निवेशकों को उनके हितों की सुरक्षा का आश्वासन दिया तो दूसरी ओर वंचितों के बीच संपत्तियों के पुनर्वितरण पर भी जोर दिया।
एक लोकप्रिय व जुझारू नेता से अलग जुमा की छवि काफी विवादास्पद भी रही है। उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए और ऐसा काम किया, जिससे वे सुर्खियों में रहे। उन्होंने यह कहते हुए धार्मिक समूमहों को नाराज कर दिया कि जीसस ने एएनसी को दक्षिण अफ्रीका में शासन करने के लिए कहा है और वह तब तक शासन करती रहेगी, जब तक जीसस लौट नहीं आते। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले गोरों की यह कहते हुए नाराजगी मोल ले ली कि यहां रहने वाले सभी गोरे समूहों में केवल अफ्रीकन ही सही मायने में दक्षिण अफ्रीकी हैं। मीडिया से भी उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा। उन पर लगे भ्रष्टाचार व बलात्कार के आरोप को मीडिया ने प्रमुखता से उछाला, जिसने जुमा को नाराज कर दिया। लेकिन जुमा अंतत: सभी मामलों से बरी हो गए और उन्होंने कई मीडिया संगठनों पर करोड़ों में मानहानि का मुकदमा ठोक दिया। समान लिंगी विवाह को ईश्वर और देश दोनों के लिए शर्मनाक बताते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि उनके सामने कोई लेस्बियन या होमो आ जाए तो वे उन्हें धक्का देकर भगा देंगे। हालांकि इस बयान के व्यापक विरोध के बाद उन्होंने माफी भी मांगी और देश के विकास में ऐसे लोगों के योगदान को भी स्वीकार किया। उधर, पश्चिमी सहारा की स्वतंत्रता का समर्थन करने पर उन्हें मोरक्को के राजदूत की आलोचना भी ङोलनी पड़ी।