शनिवार, 18 अप्रैल 2009

उल्लंघन के अन्य महत जन

चुनाव की घोषणा होते ही अरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो जाता है। कई बार यह केवल सत्ता और विपक्ष या विरोधी दलों की आपसी खींचतान का नतीजा होता है, तो कभी-कभी यह वास्तव में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला होता है। चुनाव आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन राजनीतिक दलों को कौन समझाए।
आए दिन आयोग के पास आचार संहिता के उल्लंघन के मामले पहुंचते हैं। आयोग दलों को सख्त निर्देश देता है। इस दिशा में ठोस कार्रवाई भी करता है, फिर भी यह सिलसिला है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा। हाल में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और अपने प्रभाव के इस्तेमाल का आरोप लगा। कई अन्य नेताओं पर भी ऐसे आरोप लग चुके हैं, जो आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला बनता है। लेकिन पार्टियां हैं कि सबक सीखने को तैयार नहीं।
असम की मुख्य विपक्षी पार्टी असम गण परिषद ने चुनाव आयोग को दी शिकायत में आरोप लगाया है कि गोगोई ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर चाय बगान के मालिकों से कांग्रेस के पक्ष में राजनीतिक चंदा इकट्ठा किया। साथ ही यह भी कहा गया कि अपनी हाल की कोलकाता यात्रा के दौरान उन्होंने सरकारी सेवाओं का लाभ लिया। हालांकि आयोग के पूछे जाने पर गोगोई ने साफ किया कि उनकी यात्रा पूरी तरह निजी थी, चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि एकबार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद निजी यात्रा के दौरान भी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। आयोग ने सख्त लहजे में उन्हें भविष्य में इसका ध्यान रखने और ऐसी गलती नहीं दोहराने का निर्देश दिया।
उधर, आंध्र प्रदेश में तेलंगाना राष्ट्रसमिति के नेता चं्रशेखर राव ने मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी भवन के इस्तेमाल का आरोप लगाया। साथ ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी के दामाद अनिल कुमार को करीमनगर के एक गेस्ट हाउस में 10.40 लाख से अधिक रुपए के साथ तीन पादरियों से मिलने के आरोप में जवाब-तलब किया है। आंध्र की मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी और भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री का दामाद होने के नाते अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अनिल कुमार एक समुदाय विशेष के लोगों का वोट हासिल करने की जुगत में हैं। हालांकि अनिल कुमार और पादरियों का कहना है कि इस राशि का चुनाव से कोई लेना-देना है, बल्कि यह धार्मिक कार्यो के लिए है।
वहीं, हरियाणा की मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल ने चुनाव आयोग में मुख्यमंत्री भूपें्र सिंह हुड्डा के दो मीडिया सलाहकार और चार मीडिया समन्वयक के खिलाफ शिकायत दी, जिसमें उन पर सरकारी वाहनों एवं सुविधाओं के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया। आयोग तक शिकायत पहुंचने के बाद हरियाणा सरकार के जनसंपर्क विभाग को मुख्यमंत्री के दो मीडिया सलाहकार और दो मीडिया समन्वयक को सरकारी वाहनों या सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं करने का सख्त निर्देश दिया।
इस बीच झारखंड भाजपा ने प्रदेश के राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी पर आचार संहिता लागू हो जाने के बाद नई योजनाएं शुरू करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि चुनाव घोषित हो जाने के बाद राज्यपाल ने राज्यकर्मियों के भत्ते में वृद्धि की घोषणा की है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। वहीं, महाराष्ट्र भाजपा ने भी राज्य की कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार पर जनता के धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी शिकायत में प्रदेश भाजपा ने कहा है कि पार्टी के प्रचार के लिए सरकार रेडियो, टेलीविजन और विज्ञापन पर आम जनता का पैसा पानी की तरह बहा रही है।
इससे पहले आयोग सरकारी भवन के इस्तेमाल को लेकर भाजपा नेता मेनका गांधी को भी नोटिस जारी कर चुका है। साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह को भी ‘होली मिलनज् के नाम पर लोगों के बीच वोट बांटने के लिए नोटिस जारी किया गया। हाल ही में भाजपा नेता जसवंत सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश मेघवाल पर भी ग्रामीणों के बीच रुपए बांटने का आरोप लगा। चुनाव आयोग ऐसी शिकायतों को लेकर सख्त तो दिखता है, लेकिन तमाम सख्ती के बावजूद ऐसी शिकायतें लगातार आयोग तक पहुंच रही हैं। साफ है कि विभिन्न राजनीतिक दल इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। अब देखना है कि आखिर कब रुकता है यह सिलसिला।

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