शनिवार, 18 अप्रैल 2009

खम्मम-संसद रोड पर रोड़े ही रोड़े

आंध्र प्रदेश की खम्मम संसदीय सीट उन क्षेत्रों में है, जहां लोकसभा के पहले चरण के तहत गुरुवार को मतदान होना है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेणुका चौधरी यहां से कांग्रेस प्रत्याशी हैं, तो तेलुगु देशम ने नामा नागेश्वर राव को उम्मीवार बनाया है।
पिछले चुनाव में रेणुका चौधरी ने उन्हें भारी मतों के अंतर से हराया था। इससे पहले 1999 में भी रेणुका चौधरी ही यहां से निर्वाचित हुई थीं। पिछले दो चुनाव परिणाम से उत्साहित रेणुका हैट्ट्रिक करना चाहती हैं। लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं है। दूसरी बार यहां से किस्मत आजमा रहे नागेश्वर राव इस चुनाव में टीडीपी के अकेले उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि उन्हें वाम दलों और तेलंगाना राष्ट्र समिति का समर्थन भी हासिल है। टीडीपी, टीआएस और वाम दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में वह रेणुका को जबरदस्त चुनौती दे रहे हैं। हालांकि वाम दलों के कुछ जमीनी कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि टीडीपी-टीआरएस-वाम गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में एक गैर-वामपंथी व्यक्ति को चुन लिया गया है। लेकिन वाम दलों के औपचारिक समर्थन से नागेश्वर राव का आत्मविश्वास तो बढ़ा ही है।
वहीं, रेणुका के सामने कई चुनौतियां हैं। विकास कार्यो को लेकर क्षेत्र की जनता उनसे खासी नाराज है, तो कांग्रेसियों का एक खेमा भी खम्मम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के चयन से नाराज है। साथ ही सत्ता विरोधी भावना भी उनके खिलाफ जा सकती है। इसके अलावा अलग तेलंगाना राज्य की मांग भी इन दिनों आंध्र में जोरों पर हैं। टीआरएस इसे लेकर मुहिम चला रही है, जिसमें इस बार उसे टीडीपी और वाम दलों का भी साथ मिल गया है। जाहिर है तेलंगाना आंदोलन रेणुका सहित कांग्रेस के अन्य उम्मीदवारों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

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