शनिवार, 28 मार्च 2009

जेटली से खलबली

अरुण जेटली ने भाजपाई एकता की पोल खेल दी है। ‘पार्टी विद अ डिफरेंसज् वाली यह राष्ट्रीय पार्टी ‘पार्टी विद डिफरेंसेसज् कही जा रही है। संयोग यह कि सबकुछ ऐसे वक्त में हुआ, जब पार्टी आम चुनाव में उतरने के लिए कमर कस रही थी। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली के व्यवसायी सुधांशु मित्तल को उत्तर पूर्वी राज्यों का सह प्रभारी बनाए जाने के बाद भाजपा का आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। पार्टी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है- आडवाणी खेमा और राजनाथ खेमा। पार्टी महासचिव व मुख्य चुनाव प्रबंधक अरुण जेटली पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से नाराज चल रहे हैं। नाराजगी भी इस कदर कि राजनाथ की अध्यक्षता वाली पार्टी की कें्रीय चुनाव समिति का वह लगातार बहिष्कार कर रहे हैं। जेटली की नाराजगी को पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी बनाम आडवाणी की जंग के रूप में भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि राजनाथ, सुषमा स्वराज जोशी खेमे के माने जाते हैं, जबकि आडवाणी खेमे में जेटली, नरें्र मोदी जसे नेताओं की गिनती होती है।

जेटली की नाराजगी से पार्टी में बेचैनी साफ दिख रही है। खासतौर पर आडवाणी की चिंता समझी जा सकती है। हालांकि वह इसे छोटी-मोटी बात कहकर टाल रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री पद पर उनकी दावेदारी के लिए ताजा विवाद किसी अपशकुन से कम नहीं है। वैसे भी जेटली की गिनती पार्टी के जिताऊ रणनीतिकारों में जो होती है। पेशे से वकील जेटली ने भले ही अब तक कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता हो, लेकिन कई राज्यों में बतौर प्रभारी चुनाव के लिए ऐसी रणनीति बनाई कि पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। कर्नाटक दक्षिणी राज्यों में पहला प्रदेश है, जहां भाजपा ने 2004 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव और 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की। इसका श्रेय भी जेटली को ही जाता है, क्योंकि तब वही राज्य के प्रभारी थे। जम्मू-कश्मीर, जहां भाजपा की उपस्थिति नहीं के बराबर थी, में भी 2008 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया और वहां भी जेटली ही राज्य प्रभारी थे। इसके अलावा गुजरात, पंजाब, बिहार के विधानसभा और दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी की सफलता भी जेटली की झोली में ही जाती है।

जेटली पार्टी का वह चेहरा हैं, जो अपने बेबाक अंदाज और साफ-सुथरी छवि के लिए भी जाना जाता है। टीवी चैनलों पर वह पार्टी के सबसे उम्दा वकील हैं, जिनका लोहा विपक्षी भी मानते हैं। उनका तर्क है कि व्यवासायी सुधांशु मित्तल को उत्तर पूर्वी राज्यों का सह प्रभारी बनाए जाने से पार्टी में धनबल और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन मित्तल को राजनाथ का समर्थन प्राप्त है और पार्टी अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि वह किसी के दबाव में उनकी नियुक्ति रद्द नहीं करेंगे। गौरतलब है कि मित्तल स्व. प्रमोद महाजन के खासमखास हुआ करते थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता और आरएसएस भी इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि जेटली-राजनाथ विवाद यदि यूं ही जारी रहा, तो यह चुनाव में पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। यही वजह है कि सभी राजनाथ-जेटली विवाद सुलझाने की कवायद में जुटे हैं। जेटली को मनाने के लिए तरह-तरह के फॉर्मूले पेश किए जा रहे हैं, लेकिन जेटली हैं कि टस से मस नहीं हो रहे।

11 टिप्पणियाँ:

अजय कुमार झा ने कहा…

chaliye achha hai samay ke anukool hai apka blog aur lekhaanee prabhavit karne waleee hai, lihtee rahein.

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

आपने अन्दर कि जानकारी दी है, शायद ईसे ही राजनिति कहते है। आपका लिखने का ढग बडा ही अच्छा लगा। मेरी शुभकामनाऐ। आप लिखते रहे। आभार

HEY PRABHU YEH TERA PATH

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

आपके चिठठे को हे प्रभु पर महिला ब्लोग लिस्ट मे लिन्क दिया जा रहा है। देखे।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

स्वागत है......शुभकामनायें.

हिन्दीवाणी ने कहा…

बहुत सही लिखा है आपने। अपने आप को अलग तरह की पार्टी बताने वाली बीजेपी का असली चेहरा सामने आ रहा है। केंद्र में अभी इस पार्टी की सरकार नहीं बनी है तब यह हाल है।
बहरहाल, आपका प्रयास सराहनीय है। हिंदी ब्लॉग की दुनिया कविता-कहानी और छिछोरी बातें कहने के लिए बहुत सारे ब्लॉग बने हुए हैं लेकिन राजनीतिक विषयों पर ब्लॉग कम ही लोग चलाया करते हैं। आपका स्वागत है। इसकी निरंतरता बनाए रखें और समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी आएं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

good, narayan narayan

अभिषेक मिश्र ने कहा…

अच्छी पोस्ट. आपकी अन्य पोस्ट भी पसंद आईं.
स्वागत गाँधी विचार को समर्पित मेरे ब्लॉग पर भी.

(gandhivichar.blogspot.com)

Abhi ने कहा…

Badhai ho,
kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

Dr. Virendra Singh Yadav ने कहा…

apne thik hi pharmaya.sweta ji

डा ’मणि ने कहा…

सादर अभिवादन
सबसे पहले तो आपकी रचना के लिए ढेरो बधाई
ब्लोग्स के नए साथियो में आपका बहुत बहुत स्वागत

चलिए एक मुक्तक से अपना परिचय करा रहा हूँ

चले हैं इस तिमिर को हम , करारी मात देने को
जहां बारिश नही होती , वहां बरसात देने को
हमे पूरी तरह अपना , उठाकर हाथ बतलाओ
यहां पर कौन राजी है , हमारा साथ देने को

सादर
डा उदय ’मणि’ कौशिक
http://mainsamayhun.blogspot.com

श्वेता यादव ने कहा…

हौसला अफजाई के लिए आप सभी का शुक्रिया.
उम्मीद है आगे भी आपकी प्रतिक्रिया मिलती रहेगी.